संस्कार यूं तो एक वृहद शब्द है जो आचार – विचार, रहन–सहन, चरित्र तथा नैतिक एवं धार्मिक मूल्यों को खुद में समेटे हुए है । यह संस्कार ही हैं जो एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से अलग बनाते हैं, ये संस्कार ही थे जिसने अर्जुन को अर्जुन और दुर्योधन को दुर्योधन बनाया ।
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संस्कार यूं तो एक वृहद शब्द है जो आचार – विचार, रहन–सहन, चरित्र तथा नैतिक एवं धार्मिक मूल्यों को खुद में समेटे हुए है । यह संस्कार ही हैं जो एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से अलग बनाते हैं, ये संस्कार ही थे जिसने अर्जुन को अर्जुन और दुर्योधन को दुर्योधन बनाया ।
अनादि काल से ही घर के बुजुर्गों ने नई पीढ़ियों को संस्कारित करने का बीड़ा उठाया लेकिन आर्थिक कारणों वश आजके एकल परिवारों में यह संभव नहीं हो पा रहा है । संस्कारों के अभाव में बच्चों के भीतर नैतिक मूल्यों की जो कमी महसूस की जा रही है वो किसी भी दृष्टिकोण से शुभ संकेत नहीं है ।
भविष्य में समाज को सुदृढ़ व सुरक्षित बनाए रखने के लिए हमें आजसे ही प्रयत्न करना होगा जिसकी शुरुआत हम अपने बच्चों में उच्च कोटि के संस्कारों के बीज को रोपित करके कर सकते हैं ।
बच्चों के भीतर उच्च कोटि के संस्कार के रोपण के उद्देश्य के साथ ही Complete Cure “सनातन वैदिक संस्कार” के नाम से एक निःशुल्क कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है जिसका आयोजन प्रत्येक रविवार को होगा ।
आप भी अपने बच्चों को इस कार्यक्रम से जोड़ कर उनको संस्कारित होने व प्रभावशाली व्यक्तित्व का धनी बनने का सरल मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं ।